G-20 में ऐसा क्या होने वाला है कि पीएम मोदी समेत पूरा सिस्टम तैयारी में जुटा है?

अगर आप दिल्ली या आसपास के इलाके में रहते हैं तो आपके चारों ओर इन दिनों खास तैयारियां हो रही होंगी. सड़कें साफ हो रही हैं, गलियां सजाई जा रही हैं, हर जगह स्वागत के पोस्टर और बैनर लगे हुए हैं, ये सब एक खास पल के लिए हो रहा है. देश की राजधानी दिल्ली इस बार जी-20 समिट का आयोजन कर रही है, 8 से 10 सितंबर के बीच दिल्ली में इन देशों के प्रमुख, अधिकारी और तमाम देशों से आए लोग मौजूद रहेंगे. यही कारण है कि भारत सरकार से लेकर दिल्ली और अन्य राज्य सरकारों तक हर कोई इसी की तैयारी में जुटा है. दिल्ली में होने वाले जी-20 समिट में क्या खास होने जा रहा है, समझिए…

कब है जी-20 सम्मेलन, कहां है आयोजन?
इस साल जी-20 की अध्यक्षता भारत के हाथ में है, ऐसे में राजधानी दिल्ली में जी-20 सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. 9 से 10 सितंबर को दिल्ली में ये सम्मेलन है, जिसमें कई देशों के प्रमुख, प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. दिल्ली के प्रगति मैदान में ये तमाम बैठकें होंगी, यहां भारत मंडपम तैयार किया गया है जिसमें जी-20 सम्मेलन से जुड़ी सभी गतिविधि हो रही होंगी.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तुर्की के एर्दोगेन, कनाडा के जस्टिन ट्रूडो समेत कई देशों के प्रमुख जिनकी गिनती दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में होती है, हर कोई 3 दिन के लिए भारत में होगा. 8 से 10 सितंबर तक दिल्ली और आसपास के इलाकों में इन्हीं के रुकने की अलग-अलग व्यवस्था की गई है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले पाएंगे, उनकी जगह रूस के विदेश मंत्री यहां आएंगे. इस मीटिंग से पहले व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर ली है और तमाम मसलों पर चर्चा की है.

जी-20 सम्मेलन 2023 का एजेंडा क्या है?
इस समूह का मकसद आपस में समन्वय पैदा करना है और तमाम मसलों पर चर्चाएं कर उनके लिए रणनीति बनाना है. इस बार दिल्ली में जो यह सम्मेलन हो रहा है, उससे पहले भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग विषयों पर तमाम चर्चाएं हो चुकी हैं. जिसमें जी-20 देशों के सदस्य प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और चर्चाएं कीं. जी-20 2023 का मूल फोकस तीन एजेंडे में है, जिनमें शेरपा ट्रैक, वित्तीय ट्रैक और सहभागी समूह शामिल हैं.

इन्हीं ट्रैक के अंतर्गत कृषि, भ्रष्टाचार, संस्कृति, डिजिटल अर्थव्यवस्था, विकास, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण, स्वास्थ्य और फाइनेंस से जुड़े अलग-अलग ग्रुप को लेकर चर्चाएं हुई हैं. जी-20 देशों के यही कोर एरिया है जिन क्षेत्रों में आपसी संबंध स्थापित किए जाने हैं. पिछले एक साल में नई दिल्ली, लखनऊ, श्रीनगर, गोवा, भुवनेश्वर, वाराणसी, सिलिगुड़ी समेत अन्य शहरों में इन्हीं मसलों की बैठक हुई.

नई दिल्ली में बैठक के लिए कैसी तैयारी?
8, 9 और 10 सितंबर ये तीन दिन ऐसे होंगे, जब दुनियाभर के नेता और प्रतिनिधि राजधानी दिल्ली में होंगे. ऐसे में दिल्ली में इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारी चल रही है, दिल्ली में केंद्रीय और राज्य के दफ्तरों की 3 दिन के लिए छुट्टी घोषित कर दी गई है. इस दौरान दिल्ली के सभी स्कूल बंद भी रहेंगे, साथ ही ट्रैफिक को लेकर भी कई अहम बदलाव किए गए हैं. जो वाहन सिर्फ दिल्ली से गुजर रहे होंगे, उन्हें बाहर से ही भेज दिया जाएगा बाकी अलग-अलग इलाकों में रूट में बदलाव किया गया है.

अलग-अलग देशों के जो प्रमुख आएंगे उनके विमानों को दिल्ली एयरपोर्ट, पालम एयरपोर्ट में खड़ा किया जाएगा इनके अलावा कुछ अन्य शहरों का इस्तेमाल हो सकता है. दिल्ली के अलग-अलग होटल में जी-20 देशों को डेलिगेट्स रुकेंगे, जबकि कुछ अस्पतालों में भी रिजर्व में बेड्स रखे गए हैं. सुरक्षा के लेवल पर भी कई लेयर्स में काम किया जा रहा है, यानी दिल्ली में इन 3 दिनों के लिए पूरी तरह से चीज़ें बदल जाएंगी. यही कारण है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक इसकी तैयारियों में जुटी है.

क्या है जी-20 ग्रुप, कौन हैं इसके सदस्य?
जी-20 यानी 20 देशों का एक समूह. साल 1999 में जब एशिया में वित्तीय संकट आया, तब इस संगठन को बनाया गया. शुरुआत में इन देशों के वित्त मंत्री और बैंकों से जुड़े अफसर इसके सदस्य थे, लेकिन बाद में इसका विस्तार कर दिया गया. साल 2008 में इस ग्रुप को राष्ट्र प्रमुख के लेवल पर ले जाया गया और आर्थिक नीतियों से इतर भी मंथन होने लगा. दुनिया की करीब 2 तिहाई आबादी इस ग्रुप के सदस्य देशों में ही रहती है, जबकि दुनिया की कुल जीडीपी का 80 फीसदी हिस्सा यहां से ही आता है.

जी-20 ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, साउथ कोरिया, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके, अमेरिका, यूरोपीय संघ शामिल हैं. इनके अलावा कुछ देशों को स्पेशल इनवाइट भेजा जाता है, जिसमें बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.

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